- चीन से सीखना होग़ा भारत की जनसंख्या एक अरब बीस करोड़ का आंकरा पार कर चुकी है ! पर जनसंख्या नियन्त्रण करने और किसी तरह की जबरदस्ती करने को राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार तैयार नहीं है ! देश हो या राज्य बढती जनसख्या से परेशान है ! आज चीन में एक बच्चे का कानून सख्ती से लागू है ! दो बच्चे होने पर आर्थिक दंड का प्रावधान है !इसलिए चीन की जनसंख्या नियंत्रित है ! अपने देश में वोट बैंक का लालच है ! कोई भी प्रधानमंत्री लाल किला पर खड़ा होकर यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा सकता की , हे भातीयों कम बच्चे पैदा करो क्योकि यह हमारे अस्तित्व का प्रश्न है ! यदि परिवार नियोजन अपनाने वाले दम्पत्ति को सरकार बच्चों के स्कूल में प्रवेश , रेल यात्रा में छूट जैसी कई लाभवाले घोषणाएँ की जाएँ बेहतर कम हो सकता है ! दो से अधिक बच्चों वालों को दंड या बेहतर सुविधाओं से वंचित कर दें ! तब जाके कुछ देश का भला हो सकता है ! वरना हम हो झेल ही रहे है , आने वने बच्चे भी हम से ज्यादा तकलीफ सहेंगें !
आखिर नारी ही क्यों .....................करे त्यौहार ? आलेख: मोहम्मद तस्लीम उल हक यू तो पूरा साल त्योहारों से भरा है / तीन सौ पैसठ दिनों में हम इतने ही त्यौहार हम मनाते भी हैं / अर्थात हर दिन एक त्यौहार और एक उत्सव / देखा जाय तो इनसे विशेषकर महिलाएं ही जुडी है/ सावन के आते ही पुरे कार्तिक माह तक उत्सवों की श्रृंखला शुरू हो जाता है/ त्योहारों का श्रृंखला:-तीज, नाग पंचमी ,भैया पंचमी, रक्षा बंधन, कृष्ण अष्टमी , राधा अष्टमी,नवरात्र, करवा चौथ , अहोई , अष्टमी,दीपावली,यम द्वितीया,भैया दूज ,अनंत चतुर्दसी,गणेश चतुर्थी,संकट चतुर्थी,आदि कई त्यौहार है/ इन त्योहारों को केवल महिलाये ,भाईओं,पति,और पुत्रो के लिए मनाती आ रही है/ हथेली पर चावल के दाने ,थाली में मिटटी के गणेश, पकवान के साथ पूजा कर चन्द्र दर्शन कर एक राजा और रानी की कहानी सुन व्रत का तर्पण कर ही सुहागिन महिलाये मुह जुठ्लाती है/ ये परम्पराएँ न जाने कितनी ही पीडियों से चली आ रही है/ क्या ये अश्मिता का सवाल है:- नारी अपनी अश्मिता के प्रश्नों को ले आज समाज के
WELL SAID.............
ReplyDelete