HAMARI AAWAZ: JITNE LOG UTNI ZINDAGI: लोगों की जुबान में ज़िन्दगी तालिबे इल्म ______जिंदगी इम्तिहान है क्लर्क ______एक चाकरी है गरीब मजदूर _____दुखों का घर है क...
नारी बनी ऐसे आरम्भ में जब त्वष्टा नारी को बनाने लगा तो उसे पता चला क़ि पुरुष के निर्माण में वह सारी सामग्री समाप्त कर बैठा है और कोई स्थूल तत्व शेष नहीं रहे ,तो उसने बड़ी सोच विचार के बाद उन किया की चन्द्रमा की वर्तुलता को, लताओं की वक्रता को , प्रतानों के लचीलेपन को , घास की कम्पन को , सरकंडे की तनूता को , पुष्पों के यौवन को, पत्तों के हल्केपन को , हाथी के सूंड के नुकीलेपन को , मृग की भासों को , भवरों की पक्तियों के झुरमुटों को , सूर्य की किरणों की आनन्ददायक चाल को , बादलों की रिमझीम को , वायु की चंचलता को , खरगोश की भीरुता को , मोर के अभिमान को , तोंते के वक्छ की कोमलता को , बादाम की सख्ती को, शहद की मिठास को , सिंह की निर्दयता को , अग्नि की लपट की गरमाई को , बर्फ की शीतलता को , कोयल की कूक को , क्रेन की दिखावट को , चकवाक की निष्ठा को लेकर ,और सबको मिलाकर उसने नारी अर्थात औरत को बनाया ! तस्लीम आरज़ू
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