Skip to main content

Posts

पूर्व मंत्री,बिहार सरकार और डिहरी विधायक

HAMARI AAWAZ: JITNE LOG UTNI ZINDAGI

HAMARI AAWAZ: JITNE LOG UTNI ZINDAGI : लोगों की जुबान में ज़िन्दगी तालिबे इल्म ______जिंदगी इम्तिहान है क्लर्क ______एक चाकरी है गरीब मजदूर _____दुखों का घर है क...
सोनघाटी सभ्यता का योगदान प्राचीन आर्यावर्त में भी                                              मोहम्मद तस्लीम उल हक  बिहार की कैमूर पहारी श्रृंखला के क्षेत्र का सोनघाटी  प्राचीन आर्यावर्त अर्थात भारत का समृद्ध सांस्कृतिक अंचल रहा है | आर्यों के भयावार जीवन के ठहराव के बाद वैदिक संस्कृति को अंतिम आकार मिला था |वेद की रिचाओं का स्वरुप भी स्थिर करने का स्थल रहा है | वैदिक काल में यहा अगस्य,वशिष्ट और विश्वामित्र के गुरुकुल चला करती थी | मनु के बाद राजा इक्च्वाकू के समय से वशिष्ठो की नामावली मिलती है | श्रीराम के पैदा लेने से सदियों पहले सत्यव्रत के पुत्र राजा हरिश्चन्द्र के द्वारा रोहतासगढ़ किला का मन्दिर बनाया था | कई धर्म ग्रथों के अनुसार सत्यव्रत के समय विश्वामित्र ने उस समय के देवराज से रिशित्वा या ब्रह्मनत्व पाने के लिए घोर शारीरिक ,मानसिक तप किया और विजय पायी थी | तब वशिष्ट गुरुकुल की मान्यता विश्वामित्र गुरुकुल से अधिक थी | इसी विश्वामित्र मुनि ने वेद के 24 अक्षरों वाली गायत्री की रचना की थी | तत्स्विव्रेंयुम भेर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नह प्रचोदयात | यह गेय मन्त्र था | भगवान श

JITNE LOG UTNI ZINDAGI

लोगों की जुबान में ज़िन्दगी  तालिबे इल्म ______जिंदगी इम्तिहान है  क्लर्क           ______एक चाकरी है  गरीब मजदूर _____दुखों का घर है  कुत्ता           ______लालच है  दौलतमंद   ______खाना पीना और मर जाना है  फकीर      _______दूसरों के आगे हाथ फ़ैलाने का नाम  पहलवान _______अखारा है  मरीज    ________तकलीफों का घर है  तमाशाई _______एक खेल है  शायर    ________पानी का बुलबुला है  शराबी   ________एक मयकदा है  लुटेरे    ________लुटने का नाम है  बीबी   _________घर सवारने का नाम है  मुसाफिर _______एक सफर है  आशिक  _______इश्क करने का नाम है  मोमिन   _______खुदा से मुहब्बत का नाम है                              मोहम्मद तस्लीम उल हक 

AAKHIR NAARI HI KIYO..................................

आखिर नारी ही क्यों .....................करे त्यौहार ?                                                                      आलेख: मोहम्मद तस्लीम उल हक    यू तो पूरा साल त्योहारों से भरा है / तीन सौ पैसठ दिनों में हम इतने ही त्यौहार  हम मनाते भी हैं / अर्थात हर दिन एक त्यौहार और एक उत्सव / देखा जाय तो इनसे विशेषकर महिलाएं ही जुडी है/ सावन के आते ही पुरे कार्तिक माह तक उत्सवों की श्रृंखला शुरू हो जाता है/   त्योहारों का श्रृंखला:-तीज, नाग पंचमी ,भैया पंचमी, रक्षा बंधन, कृष्ण अष्टमी , राधा अष्टमी,नवरात्र, करवा चौथ , अहोई , अष्टमी,दीपावली,यम  द्वितीया,भैया दूज ,अनंत चतुर्दसी,गणेश चतुर्थी,संकट चतुर्थी,आदि कई त्यौहार है/   इन त्योहारों को केवल महिलाये ,भाईओं,पति,और पुत्रो के लिए मनाती आ रही है/ हथेली पर चावल के दाने ,थाली में मिटटी के गणेश, पकवान के साथ पूजा कर चन्द्र दर्शन कर एक राजा और रानी की कहानी सुन व्रत का तर्पण कर ही सुहागिन महिलाये मुह जुठ्लाती है/ ये परम्पराएँ न जाने कितनी ही पीडियों से चली आ रही है/     क्या ये अश्मिता का सवाल है:-    नारी अपनी अश्मिता के प्रश्नों को ले आज समाज के